4 काँके हारई आपणाँ रिप्या की बड़ोतरीऊँ नाक्या। पण, अणी लुगई आपणी घटतीऊँ हारी पूँजी दान दे दिदी हे।”
काँके हारई आपणाँ रिप्या की बड़ोतरीऊँ नाक्या, पण ईं लुगई आपणी गरीबी हालत में भी ज्यो थोड़ाक रिप्या नके हा, वे हारई दे दिदा। वींका नके अतराक रिप्या हा, ज्यो वींका जीव को आसरो हो।”
वणा मूँ नानक्ये बेटे आपणाँ बापऊँ क्यो, ‘ओ बापू, धन-दोलत मूँ ज्यो भाग मारे पाँती आवे हे वो मने दिदो।’ तो वणी आपणी हारी दोलत दुयाँ में बाट दिदी।
तद्याँ ईसू क्यो, “मूँ थाँकाऊँ हाचेई केवूँ हूँ के, सबाका का दानऊँ वाँ लुगई जिंको धणी सान्त वेग्यो, वींको दान हेलो हे,
अन वाँका मूँ एक लुगई ही जिंके बारा सालऊँ परदा को रोग हो, अन जणी आपणी हारी धन-दोलत वेदऊँ एलाज करबा में खरच कर नाकी, तद्याँ भी वींके आराम ने पड़्यो हो।
वाँकी बंच में किंने भी कणी की कमी ने ही, काँके जिंका नके जगाँ अन घर-बार हा, वे वाँने बेंच देता अन वींऊँ जो भी रिप्या-कोड़ी मलता,
काँके जस्यान देबा को मन वेवे हे वस्यानीस वींको दान गरेण किदो जावे हे। मारो केणो हे के, जतरोक वे वतरो दे दिज्यो वणीऊँ बड़न मती देज्यो।