ईसू वींकी बात हुणन क्यो, “हिवाळ्या के, तो खोकल वेवे हे अन आकास का जनावराँ का वाते गवाळा वेवे हे पण मनक का पूत का वाते मातो ढाँकबा का वाते भी जगाँ ने हे।”
हरग-दुत वींने क्यो के, “मूँ जिबराईल हूँ। अन हमेस्यान परमेसर का हामे हाजीर रूँ हूँ। अन वणा मने थाँराऊँ बात करबा का वाते अन ओ हव हमच्यार केबा के वाते खन्दायो हे।
काँके आपाँ जाणा हा के, जस्यान परमेसर परबू ईसू ने मरिया तका मेंऊँ जीवता किदा हे, वस्यानीस वीं आपाँने भी ईसू का हाते जीवता करी अन माँने भी थाँका हाते परमेसर का हामे ऊबा करी।
थूँ सान्तीऊँ टक्यो तको रेज्ये अन दुक भोगबा का वाते त्यार रे। हव हमच्यार को परच्यार करबा का वाते घणी मेनत कर अन थाँरी जिमेदारी ने हव तरियाऊँ पुरी करज्ये।
ईंका केड़े में कई देक्यो के, मनकाँ का मोटी भीड़ हे जिंने कुई भी गण ने सके, वीं भीड़ में हारी जात्या का, हाराई कुल का, हारी बोली बोलबावाळा अन हाराई देसा का मनक हा, वीं वणी गादी अन उन्याँ का हामे ऊबा हा, वणा धोळा गाबा पेर मल्या हा अन हाताँ में खजुर की डाळ्याँ ले राकी ही।