ज्यो बीज झाड़क्याँ में वाया ग्या, वीं वणा मनकाँ का जस्यान हे, ज्यो परमेसर का बचन ने हुणे हे, पण ईं दनियाँ की चन्ता अन धन-माया को लोब-लाळच वाँने परमेसर को बचन भुलई दे के, परमेसर वाँकाऊँ कई छावे हे अन वो फळ ने लावे।
“आपणाँ वाते खुद हेंचेत रेवो। वे मनक थाँने पकड़न कोरट में पेस केरी अन पछे थाँने वाँका परातना घर में मारी कुटी अन मारा वाते थाँने हाकम अन राजा के आगे ऊबो वेणो पेड़ी। ईंऊँ थाँ वाँने मारो हव हमच्यार हुणा सको।
अन ज्यो बीज झाड़क्याँ में पड़्या वी वणी मनक का जस्यान हे, जी बचन माने तो हे, पण वीं चन्ता-फिकर अन मो-माया अन जीवन का भोग-विलास में दब जावे हे अन वाँके फळ भी ने पाके हे।
पण में ज्यो लिक्यो हो वो ओ हे के, कणी अस्या मनकऊँ वेवार मती राको ज्यो आपणाँ खुद ने मसी को विस्वासी केन भी कुकरमी, लोबी, मूरत्याँ पूजबावाळो, जूटी खबर देबावाळो, पीबावाळो, अन ठग वेवे। अस्या मनकाँ का हाते थाँ खाणो भी मती खावो।
परमेसर को दन चोर का जस्यान अणाचेत को आई। परबू के पाच्छा आबा का दन आकास जोरऊँ गाजी अन नास वे जाई अन आकास पिंड जो आकास में हे वाँ हेली उनी वेन पिगळ जाई अन ईं धरती पे जो कई भी हे, वो भी बळ जाई।
ईं वाते हो मारा लाड़ला भायाँ, थाँ अणा बाताँ की वाट नाळरिया हो, ईं वाते थाँ पुरी कोसीस करो के, परमेसर की नजरा में खरा, बना दोस का अन सान्तीऊँ रेबावाळो केवावो।
ईं वाते जणी हिक ने थाँ हूणी ही, वींने आद करो अन आपणो मन बदलो अन वीं हिक का जस्यान चाल चालो। जद्याँ थूँ अस्यान ने करी, तो मूँ चोर का जस्यान अणाचेत को थाँरा नके अई जाऊँ अन थने पतो भी ने पड़बा देऊँ।