32 मूँ थाँने हाँची केरियो हूँ के, ईं पिड़ीयाँ का मनकाँ के मरबा के पेल्याँई हारी बाताँ वे जाई।
मूँ थाँने हाचेई केवूँ हूँ के, ज्यो अटे ऊबा हे, वाँका मूँ कुई अस्या हे के, वीं जद्याँ तईं मनक का पूत ने वींका राज में आता तका ने देक लेई, जद्याँ तईं वाँने मोत ने आई।”
मूँ थाँने हाँची केवूँ हूँ के, ईं हारी बाताँ को दण्ड ईं पीड़ी का लोगाँ ने भुगतणो पड़ी।
मूँ थाँने हाँची केरियो हूँ के, ईं पिड़ीयाँ का मनकाँ के मरबा के पेल्याँई हारी बाताँ वे जाई।
अस्यानीस थें वे हारी बाताँ वेती देको, तो जाण जाज्यो के, परमेसर को राज को दन नके हे।
धरती अन आकास टळ जाई, पण मारो बचन कदी ने टळी।