26 दरपणीऊँ अन दनियाँ ऊपरे आबावाळा टेम की बाट देकता देकता लोग-बागाँ का जीव में जीव ने रेई। आकास की हारी सगत्याँ हाल जाई।
“वाँ दनाँ दक-पीड़ा की बगत के पछे सुरज काळो पड़ जाई अन चाँदऊँ वींकी चाँदणी जाती रेई। आकासऊँ तारा नीचे पड़बा लाग जाई अन आकास की हारी सगत्याँ हाल जाई।
आकासऊँ तारा नीचे पड़बा लाग जाई अन आकास की हारी सगत्याँ हाल जाई।
“चाँद-सूरज अन तारा में हेन्याण दिकई दिदा जाई अन धरती में हाराई देसा का लोग-बागाँ पे कळेस आई। काँके वीं समन्द की गाजबाऊँ अन लेराऊँ घबरा जाई।
ईंका केड़े लोग मूँ मनक का पूत ने आपणी तागत का हाते अन मोटी मेमा का हाते वादळा पे आता तका देकी।