15 मूँ थाँने अस्या बोल अन अकल देवूँ के, थाँका हाराई दसमण थाँको सामनो ने कर सकी अन थाँने रोक ने पाई।
काँके पुवितर आत्मा थाँने हिकाई के, वणी टेम थाँने कई केणो हे।”
अन थाँका बई-बापू, भई-बन्द अन परवार का हण्डाळ्याँ भी थाँने धोकाऊँ पकड़वाई। अटा तईं के थाँकामूँ नरई ने मरवा नाकी।
तद्याँ वणी वाँने सास्तर ने हमजबा के वाते वाँने अकल दिदी।
वीं हाराई जणा पुवितर आत्माऊँ भरग्या अन जस्यान पुवितर आत्मा की सामरत वाँने मली वीं तरे-तरे की बोली में बोलबा लागा।
जद्याँ वो परमेसर का हामे सई ठेराबावाळी, सबर अन आगे लोगाँ पे आबावाळा न्याव का बारा में केरियो हो, तो फेलिक्स दरपतो तको जवाब दिदो, “अबाणू तो थूँ जा, मोको मली तो मूँ थने पाछो बलाऊँ।”
तद्याँ अग्रिपा पोलुसऊँ क्यो, “थूँ थोड़ीक टेम में मने मसी बणाबो छारियो हे?”
पण, वो पुवितर आत्माऊँ मली तकी अस्यी अकल की बाताँ केतो के, वे वींका हामे ने आ सक्या।
अन मारा वाते भी अरज करज्यो, ताँके जद्याँ मूँ बोलूँ वीं दाण परमेसर मने अस्यो बचन देवे के, मूँ हिम्मत राकन हव हमच्यार को भेंद बता सकूँ।
पण जद्याँ थाँकामें किंने भी अकल की कमी वेवे तो, वो परमेसरऊँ मांगे, ज्यो बना तापड़्या खुला मनऊँ देवे हे, अन थाँने अकल दिदी जाई।