10 तद्याँ ईसू वाँने ओरी क्यो के, “एक देस दूजाँ देस पे अन एक राज का दूजाँ राज पे चड़ई केरी।
एक देस दूजाँ देसऊँ लड़ेलो अन एक राज दूजाँ राज पे चड़ई केरी। कई जगाँ भूकम आई अन काळ पेड़ी। अस्यान दुक अन पिड़ा की सरुआत वेई।
अन मोटा-मोटा भूकम आई अन जगाँ जगाँ काळ अन तरे-तरे की बीमारियाँ वेई अन बादळाऊँ गजब-गजब की बाताँ वेई अन मोटा-मोटा दरप का हेन्याण दिकी।
अन जद्याँ थाँ युद अन लड़ई की बाताँ हुणो, तो दरपज्यो मती। काँके ईं बाताँ को पेल्या वेणी जरूरी हे। पण, वणी टेम तरत अन्त ने वेई।”
वाँका मूँ अगबुस नाम को एक परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळो ऊबो वेन परमेसर की आत्माऊँ आ आगली बतई के, आकी दनियाँ में काळ पड़बा वाळो हे, जो कलोदियुस की टेम में पड़्यो।
अन या बात, “एक दाण ओरी” ईं बात ने परगट करे हे के, रचना किदी तकी चिजाँ मेंऊँ हालबावाळी चिजाँ नास किदी जाई, जणीऊँ ज्यो चिजाँ हाली कोनी, बेस वींइस अटल रेई।