9 तद्याँ ईसू लोग-बागाऊँ या केणी केबा लागा के, “कणी मनक आपणी जमीं पे अंगूरा को एक बाग लगायो अन दूजाँ ने हिजारे दे दिदो अन घणा दनाँ का वाते परदेस परोग्यो।
जद्याँ हाँक की टेम अई, तो वणी मनक हिंजारिया का नके एक नोकर ने खन्दायो के, वो बाग का फळा को भाग वींने दी देवे पण, वणा हिंजारिया वींने कुट्यो अन खाली हातई पाछो खन्दा दिदो।