“ओ कपटी, मूसा का नेमा ने हिकाबावाळा अन फरीसियाँ, थाँने धिकार हे! थाँ मनकाँ का वाते हरग का राज को बारणो बन्द करो हो, ने तो थाँ खुद परवेस करो हो अन ने वींमें परवेस करबावाळा ने परवेस करबा देवो हो।
“ओ कपटी, मूसा का नेमा ने हिकाबावाळा अन फरीसियाँ, थाँने धिकार हे! थाँ विदवा लुगायाँ का घराँ ने खा जावो हो अन बतावा का वाते नरई टेम तईं परातना करता रेवो हो, ईं वाते थाँ कल्ड़ो दण्ड पावो।
“मूसा का नेमा ने हिकाबावाळाऊँ हूँस्यार रेवो, ज्याँने लाम्बा-लाम्बा कुरता पेरणा घणा हव लागे हे अन ज्याँने बजाराँ में नमस्कार अन मोटी-मोटी सबा में ऊँचा-ऊँचा आसन अन जीमणा में ऊँची जगाँ पे बेटणो घणो हव लागे हे।