वीं धन्न अन पुवितर हे ज्यो ईं पेला पुनरुत्थान का भागी बणी, अणापे दूजो मोत को कई अदिकार ने, पण ईं परमेसर अन मसी का याजक वेई, अन वींके हाते एक हजार वर तईं राज करी।
पण वणी माराऊँ क्यो, “थूँ अस्यान मती कर, काँके मूँ थाँरो अन थाँरा भायाँ परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळा अन ईं किताब की बाताँ ने मानबावाळा का लारे को दास हूँ। बेस थूँ परमेसर की भगती कर।”