33 ईं तरिया वी पाच्छा जीवता वेबा का केड़े वा लुगई किंकी लुगई बणी, काँके वाँ हातई भायाँ की लुगई बण चुकी ही।”
हाराई केड़े वा लुगई भी मरगी।
तद्याँ ईसू वणाऊँ क्यो, “अणी जुग में ब्याव वेवे हे।