29 एक दाण अस्यो वे के, हात भई हा, पेलो भई ब्याव करन बनाई आस-ओलाद मरग्यो।
वणा ईसुऊँ पूँछ्यो, “ओ गरुजी, मूसे तो माकाँ वाते ओ लिक्यो हे के, यद्याँ किंको भई आपणी लुगई का हाते रेतो तको बनाई आस-ओलाद मर जावे। तो वींको भई वींकी लुगईऊँ ब्याव करले अन आपणाँ भई का वाते आस-ओलाद पेदा करे।
पसे दूजे अन ईंका केड़े तीजे भई भी वणी लुगईऊँ ब्याव किदो।