23 ईसू वाँकी चाल ने हमजग्या अन वाँने क्यो,
फरीसी अन सदुकियाँ ईसू का नके आन परक करबा का वाते क्यो, “माने हरग को हेन्याण बता। ताँके माने पतो लागे के, थने परमेसर का आड़ीऊँ अदिकार मल्यो तको हे।”
ईसू वाँकी चाल ने जाणन क्यो, “हो कपटी, मने काँ जाँचो-परको हो?
वी हाराई वींने पकड़बा की ताक में रेवा लाग्या के, वो कई गलती करे, ईं वाते वणा वींका वाते भेदू खन्दाया। वणा खरा वेबा का नाटक रच्यो, ताँके वींने बाताँ में फसान राजपाल अन अदिकारियाँ का हाताँ में हूँप दे।
तो कई माँने राजा केसर ने हाँसल देणो छावे के ने देणो छावे?”
“मने एक मोर बतावो? अन ईंपे किंकी मूरती अन नाम हे?” वणा क्यो, “राजा केसर की।”
पण, ईसू वाँका बच्यार जाणग्या हा, वणा वाँकाऊँ क्यो, “थाँ आपणाँ मना में अस्यान काँ होचरया हो?
पण ईसू अणी बात ने जाणग्या हा। ईं वाते वणा वीं मनक ने क्यो, “ऊबो वेजा अन वो हाराई का हामे आन ऊबा वेग्यो।”
“हे हंगळा छळ-कपटऊँ भरिया तका सेतान का पूत, थूँ हारी तरिया की भलई को दसमण, कई थूँ परबू का हव गेला ने बगाड़णो ने छोड़ी?
अन ने आपीं मसी की परक कराँ, जस्यान वणा किदी ही अन वीं हाँप के डसबाऊँ मरग्या हा।
काँके ईं दनियाँ को ग्यान परमेसर का हामे बेण्डोपणो हे। जस्यान के सास्तर में लिक्यो हे के, “परमेसर ग्यानवाळा मनकाँ ने वाँका खुद का ग्यान में फसा देई।”
जणीऊँ आपीं आगे बाळक कोयने रेवा, ज्यो ठग मनक की ठग-वद्याँ अन चतुराईऊँ, भेंम की बाताँ अन छळ का उपदेस का वइराऊँ ऊछाळ्यो जावे हे अन अटने-वटने भटके हे।
दनियाँ की कस्यी भी चीज परमेसरऊँ हपी तकी ने हे, वाँकी आक्याँ का हामे हारी चिजाँ खुली अन बना परदा की हे। वाँका हामे आपाँने आपणो लेको देणो हे।