वणा भेदू ईसुऊँ ओ पूँछ्यो के, “ओ गरुजी, माँ जाणा हाँ के, थाँ हव केवो हो अन हिकावो भी हो अन किंको भेद-भाव भी ने करो हो। पण, थाँ तो परमेसर को गेलो हाँचऊँ बतावो हो।
अन मनक यो केन वींपे दोस लगाबा लागा के, “माँ ईंने लोग-बागाँ ने भटकातो तको पकड़्यो हे। यो राजा केसर ने हाँसल जमा करबा का वाते नटे हे अन यो आपणाँ खुद ने राजा मसी केवे हे।”
किंकी भी उदारी हे तो वींने चुका दो, अन ज्यो कर थाँने देणो हे वो दिदो। किंको जद्याँ हाँसल निकळे, तो वींने दिदो। जणीऊँ दरपणो छावे, वणीऊँ दरप। जिंको आदर करणा छावे, वींको आदर कर।