जक्कई ऊबो वेन परबूऊँ क्यो, “ओ परबू जी, देको, मूँ मारी कमई को आदो हिस्सो गरीब-अनाता ने देवूँ हूँ अन यद्याँ किंको भी मन दुकान लिदो हे, तो वींने च्यार-गुणो पाछो दी देवूँ।”
यो देकन, वो फरीसी जणी वींने बलायो हो, आपणाँ मन में होचबा लागो, “यद्याँ यो परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळो वेतो तो जाण लेतो के, वाँ कस्यी अन कूण लुगई हे? के, वा तो पापी लुगई हे।”