25 वणा वींकाऊँ क्यो, ‘ओ मालिक, वींका नके तो दस मोराँ हे।’
ईं वाते वणी मुनीम ने बलान क्यो, ‘या कई बात वेरी हे थाँरा बारा में? ज्या मूँ थाँरा बारा में हुणरियो हूँ। आपणाँ मुनीमपणा को मने हिस्याब दे। काँके आगेऊँ थूँ मुनीम को काम ने कर सके हे।’
अन ज्यो लोग-बाग नके ऊबा हा, वाकाँऊँ मालिक क्यो, ‘या मोर अणीऊँ लिलो अन जिंका नके दस मोराँ हे। वींने दिदो।’
मूँ थाँकाऊँ केवूँ हूँ के, ‘जिंका नके हे, वींने ओरी दिदो जाई अन जिंका नके ने हे, वणीऊँ ज्यो भी वींका नके हे, ले लिदो जाई।