24 अन ज्यो लोग-बाग नके ऊबा हा, वाकाँऊँ मालिक क्यो, ‘या मोर अणीऊँ लिलो अन जिंका नके दस मोराँ हे। वींने दिदो।’
पण, परमेसर वणीऊँ क्यो, ‘ए वेण्डा मनक, अणी रातेईस थूँ मर जाई। जो कई भी थें भेळो किदो हे। वो किंको रेई?’
ईं वाते वणी मुनीम ने बलान क्यो, ‘या कई बात वेरी हे थाँरा बारा में? ज्या मूँ थाँरा बारा में हुणरियो हूँ। आपणाँ मुनीमपणा को मने हिस्याब दे। काँके आगेऊँ थूँ मुनीम को काम ने कर सके हे।’
अन वणी आपणाँ नोकर-चाकर मेंऊँ दस जणा ने बलान वाँने एक-एक मोराँ दिदी अन वाँने क्यो, ‘मारे पाच्छे आबा तई थाँ लेण-देण करज्यो।’
तो थें मारी मोर हवकारा का नके कई लेबा ने मेली के, मूँ आन ब्याज का हाते मूँळ पूँजी भी ली लेतो?
वणा वींकाऊँ क्यो, ‘ओ मालिक, वींका नके तो दस मोराँ हे।’