21 काँके मूँ थाँकाऊँ दरपतो हो। ईं वाते के, थूँ घणो गाटो मनक हे। जटे थूँ ने मेले, वटूँ थूँ ली लेवे हे। अन ज्यो थें ने वायो, वटूँ काटे हे।’
तीजे नोकर आन क्यो, ‘ओ मारा मालिक, थाँकी मोर या हे। जिंने में आपणी पेटी में हपई राकी ही।
वणी वींने क्यो, ‘ए बुरा दास, मूँ थाराईस मुण्डाऊँ थने दोसी मानूँ हूँ। थूँ मने जाणतो हो के, मूँ गाटो मनक हूँ। जटे मूँ ने मेलू, वटूँ मूँ लेवूँ हूँ अन जटे ने वावूँ, वटूँ काटे हूँ।’
काँके ज्या आत्मा थाँने दिदी हे, वाँ थाँने पाच्छा दास बणाबा का वाते ने अन नेई दरपवा का वाते हे, पण वाँ आपाँने वींकी ओलाद बणाबा का वाते हे, जणीऊँ आपाँ “ओ बापू, ओ पापाँ” केन बलावा हा।
काँके देह पे मन लगाणो तो परमेसरऊँ दसमणी राके हे, काँके देह ने तो परमेसर का नेम पे चाले हे अन नेई कदी चाल सके हे।
काँके परमेसर आपाँने दरपणी के बजाय तागत, परेम अन खुद ने बंस में राकबा की आत्मा दिदी हे।
काँके जद्याँ कुई हाराई नेमा ने माने हे, पण वो एक बात में भुल करे हे, तो वो हाराई नेमाने ने तोड़बावाळो गुनेगार बण जावे हे।
ज्यो मनक परेम करे हे, वो दरपे कोयने, काँके परेम दरप ने छेटी करे हे। दरप को हण्डाळ्यो दण्ड हे। ईं वाते ज्यो मनक दरपे हे, वो मनक कदी भी पाको कोयने वे सके हे।
हाराई मनकाँ को न्याव करी अन जणा मनकाँ बुरा काम किदा हा अन परबू का विरोद में बोल्याँ हाँ, वाँने दण्ड देई।”