18 दूजे नोकर आन क्यो, ‘हो मालिक, थारी मोरऊँ में पाँच मोराँ ओरी कमई हे।’
ज्यो बीज हव जगाँ में बोयो ग्या वीं खुब फळ लाया वीं वणा मनकाँ का जस्यान हे ज्यो हो गुणा, हाठ गुणा, अन कटे तीस गुणा फळ लावे।”
अन जिंने दो नोळ्या मली ही, वणी भी आन क्यो, ‘हो मालिक, थाँ मने दो थेल्या दिदी ही, देको, में दो ओरी कमई हे।’
अन कुई मनक तो हव गारा का जस्यान हे जटे बीज बोयो जावे हे, वीं सन्देसा ने हुणे अन मन में उतारे, ईं वाते वीं फळ लावे, ज्यो कटे तीस गुणा, कटे हाठ गुणा अन कटे हो गुणाऊँ भी हेला फळ लावे।”
अन वणी आपणाँ नोकर-चाकर मेंऊँ दस जणा ने बलान वाँने एक-एक मोराँ दिदी अन वाँने क्यो, ‘मारे पाच्छे आबा तई थाँ लेण-देण करज्यो।’
वणी वींने क्यो, ‘धन्न हे हव दास, थने धन्न हे। थूँ थोड़ाक मेई विस्वास राक्यो। अबे थूँ दस ठिकाणा ऊपरे अदिकार राकी।’
वणी वींने भी क्यो, ‘थूँ भी पाँच ठिकाणा को हाकम बणी।’
काँके जस्यान देबा को मन वेवे हे वस्यानीस वींको दान गरेण किदो जावे हे। मारो केणो हे के, जतरोक वे वतरो दे दिज्यो वणीऊँ बड़न मती देज्यो।