14 पण, वींके नगर का रेवासी वणीऊँ वेर राकता हा, ईं वाते पाच्छे दूतऊँ हमच्यार खन्दायो के, ‘माँ ने छावाँ के, यो माकाँ ऊपरे राज करे।’
ने तो वो राजा थोड़ाक छेटी रेता तकाई, आपणाँ दुताँ ने खन्दान मेल-मिलाप करणो छाई।
अन वणी आपणाँ नोकर-चाकर मेंऊँ दस जणा ने बलान वाँने एक-एक मोराँ दिदी अन वाँने क्यो, ‘मारे पाच्छे आबा तई थाँ लेण-देण करज्यो।’
जद्याँ वो राजा को पद लेन पाछो आयो। तो कई व्यो के, वणी आपणाँ नोकर-चाकर ने बलाया, ज्याँने वणी मोराँ दिदी ही के, वणा कई लेण-देण करन कमायो।
पण, मारा वणा दसमणा ने जी ओ ने छावे हे के, मूँ वाकाँपे राज करूँ, वाँने मारा हामें लावो अन मार नाको।’ ”
वो आपणाँ लोगाँ का बसमें आयो अन पण वणा वींने ने ओळक्यो।
“यद्याँ दनियाँ थाँकाऊँ दसमणी राके हे तो थाँ जाणो हो के, वाँ थाँकाऊँ पेल्या माराऊँ दसमणी राके हे।