ईंपे ईसू वाँने क्यो, “थाँ अस्या लोग-बाग हो, जी मनकाँ का हामे आपणाँ खुद ने धरमी बतावे हे, पण परमेसर थाँका मन ने जाणे हे। मनक जिंने मोटा हमजे हे, वो परमेसर की देकणी में कई ने हे।
यो देकन, वो फरीसी जणी वींने बलायो हो, आपणाँ मन में होचबा लागो, “यद्याँ यो परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळो वेतो तो जाण लेतो के, वाँ कस्यी अन कूण लुगई हे? के, वा तो पापी लुगई हे।”