6 परबू क्यो, “हुणो के, यो अधरमी न्याव करबावाळो कई केवे हे?
जणीऊँ थाँ आपणाँ हरग का परम बापू की ओलाद केवावो, काँके वीं भला अन बुरा दुयाँ पे आपणो सुरज उगावे हे, अन धरमी अन पापी दुयाँ पे बरका वरावे हे।
जद्याँ परबू वींने देकी तो वाँने दया आगी अन वणा क्यो, “रो मती।”
परबू ईसू का नके यो पतो करबा ने खन्दाया के, “कई थूँ वोईस हे ज्यो आबावाळो हे, कन पछे माँ कणी दूजाँ की वाट नाळा?”
तो अस्यान करन थाँ भेद-भाव ने करो कई, अन बुरी मनसाऊँ वेवार ने करो कई?