41 “थूँ कई छावे हे के, मूँ थाँरा वाते कई करूँ?” वणी क्यो, “ओ परबू, मूँ पाछो देकणो छावूँ हूँ।”
तद्याँ ईसू वटेई रक ग्या अन आग्या दिदी के, “वींने मारा नके लावो” अन जद्याँ वी वींने लाया तो ईसू वणीऊँ पूँछ्यो,
ईसू वणीऊँ क्यो, “देकबा लागज्या, थारे विस्वासईस थने हव किदो हे।”
पण जिंने आपाँ कोयने देकाँ हा, वींकी आस करा हा, तो धीरज राकन वींकी वाट भी नाळा हा।
कणी भी बात की चन्ता मत करो पण थाँकी हारी अरज अन विनती धन्नेवाद का हाते परमेसरऊँ करता जावो।