39 जी मनक आगे-आगे जारिया हे, वणा वींने तापड़न क्यो, “छानो रे।” पण, वो ओरू भी कल्ड़ो हाको करबा लागो के, “ओ दाऊद का ओलाद, मारा पे दया कर।”
“परमेसरऊँ माँगो, तो थाँने दिदो जाई, होदो तो थाँने मल जाई, कमाड़ वजाओ तो थाँका वाते खोल्या जाई।
तद्याँ ईसू वणाऊँ क्यो, “हो कम विस्वासवाळा, काँ दरपो हो?” अन वाँकाणी उटन डूँज अन लेराँ ने तापड़ी अन च्यारूँमेर डूँज सान्त वेगी।
जद्याँ ईसू वटूऊँ आगे जाबा लागो, तो दो आन्दा वाँका पाच्छे वेग्या अन केबा लागा, “हे दाऊद का पूत, माकाँ पे दया करो।”
धिकार हे नेमा ने हिकाबावाळा ने। थाँ ग्यान का कमाड़ की चाब्याँ तो ले लिदी ही, पण ने तो थाँ वींमें खुद ग्या हो अन ज्यो वींमें जाणा छारिया हा, वाँने भी थाँ रोक दिदा हे।”
पसे ईसू वाँने अणी बारा में एक केणी हूँणई के, हरदाण परातना करतो रेणो अन कदी हिम्मत ने हारणी।
एक दन लोग-बाग आपणाँ छोरा-छोरी ने ईसू का नके लाबा लागा के, वी वाँका ऊपरे हात मेलन आसिरवाद दे, पण वाँका चेला यो देकन वाँने तापड़वा लागा।
तद्याँ वणी जोरऊँ हाको करन क्यो, “ओ ईसू, दाऊद की ओलाद, मारा पे दया करो।”
तद्याँ ईसू वटेई रक ग्या अन आग्या दिदी के, “वींने मारा नके लावो” अन जद्याँ वी वींने लाया तो ईसू वणीऊँ पूँछ्यो,
जद्याँ भीड़-भाड़ मेंऊँ कुई फरीसी ईसुऊँ केबा लागा, “ओ गरुजी, थाँका चेला ने हाका-हूक करबाऊँ रोको।”
ईसू यो केईसरिया हा अन परातना घर का हाकम का घरऊँ कुई वटे आयो अन हाकम ने क्यो, “थारी बेटी मरगी हे, अबे गरुजी ने दुक मती दे।”
अन अणी रोग का दुक की वजेऊँ में तीन दाण परबूऊँ अरज किदी अन परबू ने क्यो के, ईं काँटा ने बारणे काड़ दो।