वीं परदेसऊँ एक लुगई अई ज्या कनानी जात की ही अन वाँ कल्ड़ो हाका-भार मेलन केबा लागी, “हो परबू जी! दाऊद का पूत, मारा पे दया कर! मारी बेटी ने हुगली आत्मा घणी सता री हे।”
पण जद्याँ मुक्य याजकाँ अन नेमा ने हिकाबावाळा अणा, मोटा कामाँ ने, ज्यो वाँकाणी किदा, अन छोरा-छोरी ने मन्दर में, “दाऊद का वंसज ने होसाना बोलता तका देक्यो, तो वीं गुस्सा में आग्या।”