29 ईसू वाँकाऊँ क्यो, मूँ थाँकाऊँ हाँची केवूँ हूँ के, “ज्यो कुई परमेसर का राज का वाते घर-बार कन आपणी खुद की लुगई ने कन भई-बन्दा कन बई-बापू ने कन छोरा-छोरी ने छोड़ देवे हे,
ईं वाते पेल्या थाँ परमेसर का राज ने होदो अन हाँच पे चालो, तो ईं हारी चिजाँ भी थाँने मल जाई।
एक जणे क्यो, ‘में ब्याव किदो हे, ईं वाते मूँ ने आ सकूँ हूँ।’