8 ‘कई वो वणीऊँ यु ने केई? मारा खाबा का वाते कई बणा अन त्यार वेन जतरे मूँ खाणो खा ने लूँ, वतरे मारी चाकरी करतो रे, ईंका केड़े थूँ खाणो खई लेज्ये’?
धन्न हे वीं दास, जणा ने मालिक जागता तका अन त्यार देके। मूँ थाँकाऊँ हाचेई केवूँ हूँ के, वो भी त्यार वेन वाँने जीमबा का वाते बेवाड़ी अन नके आन वाँकी सेवा-चाकरी करी।
“पण, थाँकामूँ अस्यो कूण हे, जिंको दास हळ ज्योतरियो वे कन गारा चरातो वे अन जद्याँ वो खेतऊँ आवे, तो वणीऊँ केवे, ‘तरत आन खाणो खाबा का वाते बेट जा’?
कई वींको क्यो करबा के केड़े वो वणी दास की बड़ई करी?
ईं वाते ईसू खाणो खाता तका उटन आपणो कुरतो उतार दिदो अन हस्ताड़ो आपणी कमर पे लपेट दिदो।