7 “पण, थाँकामूँ अस्यो कूण हे, जिंको दास हळ ज्योतरियो वे कन गारा चरातो वे अन जद्याँ वो खेतऊँ आवे, तो वणीऊँ केवे, ‘तरत आन खाणो खाबा का वाते बेट जा’?
तो ईसू वाँकाऊँ क्यो, “थाँकामें अस्यो कूण हे जिंको एक गारो वे, अन आराम का दन खाड़ा में पड़ जावे, तो वो वींने बारणे ने काड़ी कई?
यो हूँणन परबू क्यो, “ओ कपट राकबावाळा, कई आराम का दन में थाँकामूँ कूण आपणाँ बळद ने कन गदा ने खूँटाऊँ खोलन पाणी पावा ने ले जावे हे?
ईंका केड़े वणी क्यो, “थाँकामूँ किंको बेटो कन बळद कूण्ड़ा में पड़ जावे तो थाँकाऊँ कूण अस्यो हे के, ज्यो वींने सबद का दन तरत बारणे ने काड़े?”
जणी तरिया नूह की टेम में भी व्यो, वणीस तरिया मूँ मनक का पूत की टेम में भी वेई।
तद्याँ परबू क्यो, “यद्याँ थाँकामें हरूँ का दाणा के जतरोक भी विस्वास वेतो, तो थाँ ईं हेतूत का रूँकड़ाऊँ केता के, ‘जड़ हमेत उखड़न समन्द में लागी जा’, तो वो थाँकी बात मान लेतो।”
‘कई वो वणीऊँ यु ने केई? मारा खाबा का वाते कई बणा अन त्यार वेन जतरे मूँ खाणो खा ने लूँ, वतरे मारी चाकरी करतो रे, ईंका केड़े थूँ खाणो खई लेज्ये’?