4 यद्याँ वो दन में हात दाण थाँरा विरोद में पाप करे अन हातई दाण थाँरा नके आन केवे के, ‘मूँ मनऊँ घणो दकी हूँ’, तो वींने माप कर देज्यो।”
यद्याँ वो ने हुणे, तो एक कन दो जणा ने आपणाँ हाते ओरी लेजा, ताँके हरेक बात दो कन तीन गवा का मुण्डाऊँ गवई दिदी जावे।
पछे पाछो ईसू क्यो, “अणी तरियाँ यद्याँ थाँकाऊँ हर कुई आपणाँ विस्वासी भई ने मनऊँ माप ने केरी, तो मारो बाप ज्यो हरग में हे, थाँका हाते भी वस्यानीस करी।”
पण मूँ थाँकाऊँ यो केवूँ हूँ के, आपणाँ दसमणाऊँ परेम राकज्यो अन आपणाँ हताबावाळा का वाते भी परातना करज्यो।
अन जस्यान माँ माकाँ दसमणा ने माप किदा हे, वस्यानीस थाँ भी माकाँ पापाँ ने माप करो।
ईंपे में थरप्या तका चेला परबूऊँ क्यो, “माकाँ विस्वास ने बढा।”
पण थूँ तो, “यद्याँ थाँरो दसमण भुको वे तो वींने खाणो खवाड़। यद्याँ वो तरियो वे, तो वींने पाणी पिबा का वाते दे। यद्याँ थूँ अस्यान करी, तो अणीऊँ वो हरमा मरी अन नानो नानो वेई।”