7 पसे वणी दूजाऊँ पूँछ्यो, ‘थारे ऊपरे कतरो करज्यो हे?’ वणी क्यो, ‘हो मण गऊँ।’ जद्याँ वणी वींकाऊँ क्यो, ‘आपणी पोती ले अन अस्यी लिक ले।’
“पण जद्याँ वो नोकर बारणे आयो, तो वींका हाते का नोकराऊँ मेंऊँ एक नोकर वींने मल्यो ज्यो वींको हो दिनार को करजदार हो, वाँकाणी वाँने पकड़न वींको गळो दबायो अन क्यो, ‘ज्यो कुई थाँराऊँ लेणो हे वो दिदे।’
वणी क्यो, ‘हो मण तेल।’ ईंपे वणी वींकाऊँ क्यो के, ‘आपणी पोती ले अन पचास लिक ले।’
वणी मालिक वणी अधरमी मुनीम ने सेबासी दिदी, काँके वणी चालाकीऊँ काम किदो हे, अणी दनियाँ का लोग-बाग परमेसर का मनकाँ का वेवारऊँ घणाई चतूर हे।”
वाँ अबाणू विदवा ही अन चोरासी वर की ही। वाँ मन्दर मेंईस रेती ही। वा एकाणा अन परातना का हाते रात-दन परमेसर की सेवा करती ही।
पसे वणी तीजा नोकर ने खन्दायो अन वणा वींने भी मार-कूटन अदमरियो करन खन्दा दिदो हो।
तद्याँ ईसू लोग-बागाऊँ या केणी केबा लागा के, “कणी मनक आपणी जमीं पे अंगूरा को एक बाग लगायो अन दूजाँ ने हिजारे दे दिदो अन घणा दनाँ का वाते परदेस परोग्यो।