5 ईं वाते वणी मुनीम मालिक का हाराई करजदाराँ ने बलायो अन एकऊँ पूँछ्यो के, ‘थारे ऊपरे मारा मालिक को कतरो करज्यो हे?’
जद्याँ वो लेको लेबा लागो, तो एक जणो वाँका हामे लायो ग्यो, जिंपे दस हजार चाँदी का सिक्का को करजो निकळ्यो हो।
“पण जद्याँ वो नोकर बारणे आयो, तो वींका हाते का नोकराऊँ मेंऊँ एक नोकर वींने मल्यो ज्यो वींको हो दिनार को करजदार हो, वाँकाणी वाँने पकड़न वींको गळो दबायो अन क्यो, ‘ज्यो कुई थाँराऊँ लेणो हे वो दिदे।’
अन जस्यान माँ माकाँ दसमणा ने माप किदा हे, वस्यानीस थाँ भी माकाँ पापाँ ने माप करो।
ठीक हे, अबे मारा हमज आग्यो के, मने कई करणो छावे, जद्याँ माराऊँ मुनीमपणा को पद ले लिदो जावे, तद्याँ लोग-बाग आपणाँ घर में मारी आवभगत कर सके।
वणी क्यो, ‘हो मण तेल।’ ईंपे वणी वींकाऊँ क्यो के, ‘आपणी पोती ले अन पचास लिक ले।’