27 वणी क्यो, “ओ बापू, अबे मूँ थाँकाऊँ परातना करूँ हूँ के, थूँ वींने मारा बाप का घरे खन्दा दे,
ईं वाते अबे मारे अन थाँरा बचमें एक घणो ऊण्डो खाड़ो राक्यो ग्यो हे के, अटेऊँ कुई भी वीं पाल्ड़े जाणो भी छावे तो ने जा सकी अन वटाऊँ कुई ईं पाल्ड़े मारा नके आवणो छावे, तो भी वो ने आ सकी।”
ताँके वो मारे पाँच भई हे, वाँने चेतावे, कटे अस्यान ने वे के, वी भी अणी दुक में पड़े।”