2 ईं वाते वणी मुनीम ने बलान क्यो, ‘या कई बात वेरी हे थाँरा बारा में? ज्या मूँ थाँरा बारा में हुणरियो हूँ। आपणाँ मुनीमपणा को मने हिस्याब दे। काँके आगेऊँ थूँ मुनीम को काम ने कर सके हे।’
तद्याँ मुनीम होच-बच्यार में पड़ग्यो के, ‘अबे मूँ आगे कई करूँ?’ काँके मारो मालिक माराऊँ मुनीम को पद लेबावाळो हे। मारा में अतरो ज्योर ने रियो के, मूँ खेता में दानकी को काम करूँ अन भीक मांगबाऊँ तो मूँ घणो हरमाऊँ हूँ।
ईं वाते जद्याँ तईं परबू ने आवे वणीऊँ पेल्याँ किंको भी न्याव मती करो। वीं तो अदंकार में हपी तकी बाताँ ने भी उजिता में दिकाई अन मना की बाताँ भी हामे लाई अन वणी दाण परमेसर का आड़ीऊँ हरेक की बड़ई वेई।
थाँरा मयने ज्यो आत्मिक वरदान हे ज्यो थने वीं टेम मल्यो हो, जद्याँ परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळा थाँरा माता पे आसिरवाद देबा का वाते हात मेल्यो हो, वीं वरदान का वाते बेपरवा मती वेज्ये।
जणी किंने भी परमेसर का आड़ीऊँ जो भी वरदान मल्यो हे वींने छावे के, वो परमेसर का वादा का जस्यान हव वेवस्ता करबावाळा की जस्यान, एक दूजाँ की सेवा करबा वाते वीं वरदान ने काम में लेवे।
वींके केड़े में फोराऊँ लेन मोटा तईं का हाराई मरिया तका मनकाँ ने वीं गादी का हामे ऊबा तका देक्यो, अन थोड़ीक पोत्याँ खोली गी वणाके केड़े एक ओरी पोती खोली गी, याईस “जीवन की पोती हे।” वाँके करमा का जस्यान ज्या ईं पोती में लिक्या ग्या हा, मरिया तका को न्याव किदो ग्यो हो।