“कुई भी मनक एक लारे दो मालिकाँ की सेवा ने कर सके हे, काँके वो एकऊँ दसमणी अन दूजाऊँ लाड़ राकी कन एकऊँ मल्यो रेई अन दूजाँ ने बेकार जाणी। थाँ परमेसर अन धन-दोलत दुयाँ की सेवा एक हाते ने कर सको हो।
ईं वाते आपणी धन-दोलत ने बेचन दान कर दो अन आपणाँ वाते अस्या खुल्या वणावो, जी जूना ने वेवे हे। हरग में अस्यो धन भेळो करो, ज्यो ने घटे अन नेई कुई वींको नकसाण कर सके हे अन नेई वटे कुई चोर जा सके हे अन ने वटे किड़ा लागे हे।
“ईसू वाँने क्यो, मूँ थाँकाऊँ केवूँ हूँ दनियाँ की धन-दोलतऊँ आपणाँ वाते यार-दोस्त बणई लो, काँके जद्याँ धन-दोलत खतम वे जाई। तो वी अनंत घर में थाँकी आवभगत करी।
ओ हूँणन ईसू वींने क्यो, “थाँरा में अबे भी एक कमी हे। आपणी हारी धन-दोलत ने गरीबा में बाँट दे अन पाछो आने मारे पाच्छे चाल थने हरग में धन-दोलत को खजानो मली।”
मूँ हाराई पुवितर मनकाँऊँ फोरो हूँ, पण मारा पे आ करपा वीं के, मूँ मसी का अनमोल धन ने ज्यो हमजऊँ बारणे हे वींका हव हमच्यार ने ज्यो यहूदी ने हे वाँ लोगाँ ने हूणाऊँ
हो लाड़ला भायाँ, ध्यानऊँ हुणो। कई परमेसर वाँने ने चुण्या ज्यो ईं दनियाँ की देकणी में गरीब हे, जणीऊँ वीं विस्वास का धनी वेजावे अन वीं वणी राज का हकदार बणे, जिंने परमेसर आपणाँऊँ परेम करबावाळा ने देबा को वादो किदो हे।