8 “अस्यानीस एक लुगई हे अन जिंका नके दस चाँदी सिक्का वे अन वाँका मूँ एक गम जावे, तो वाँ दिवो बाळन अन घर में बुवारो काड़न जद्याँ तईं मल ने जावे तद्याँ होदती रेवे।
मूँ थाँकाऊँ केवूँ हूँ के, अणीईस तरियाऊँ एक मन फेरबावाळा पापी का बारा भी हरग में अतरोइस आणन्द वेगा, जतरो वणा नन्याणूँ धरमी भगताँ का वाते ने वेवे हे ज्याँने मन बदलवा की कई जरुरत ने हे।”
झाड़-फूक करबावाळा हंगळा जणा आपणाँ पोत्या-पानड़ा लाया अन हंगळा के हामे बाळ नाक्या। वणा पोत्या-पानड़ा का रिप्या जोड़्याग्या तो पचा हजार चाँदी का सिक्का के जतरा व्या।