25 “पण, वींको मोटो बेटो ज्यो कूण्ड़ा पे हो, जद्याँ वो घरे का नके आयो तो वींने गावा-बजावा की अवाज हुणई दिदी।
काँके मारो ओ बेटो मरग्यो हो अन पाछो जीवग्यो हे, खुवाग्यो हो पण अबे पाछो लादग्यो हे।’ वीं आणन्द करबा लागग्या।
तो वणी एक दास ने आपणाँ नके बलान क्यो, ‘यो हारोई कई वेरियो हे?’
अबाणू का जुग का लोग चोतरा पे खेलबावाळा बाळकाँ का जस्या हे, ज्यो एक-दूजाऊँ केवे हे के, माँ थाँका वाते बाजो बजायो अन थाँ ने नाच्या, अन माँ सोक-गीत गायो अन थाँ ने रोया।