जिंके कान्दड़ा हे वीं हुणीलो के, आत्मा मण्डळ्याऊँ कई केवे हे। ज्यो भी जिती, मूँ वाँने हरग में हपायो तको मन्नो देऊँ। मूँ वाँने एक धोळो भाटो भी देऊँ, जिंका ऊपरे एक नुवो नाम लिक्यो तको वेई। वो नाम वीं मनक का छोड़न कुई ने जाणी, जिंने वो दिदो जाई।
वाँ हाराई ने धोळा चोळो पेरायो ग्यो हो अन वाँने क्यो ग्यो हो के, “थोड़ीक टेम ओरी वाट नाळो, जद्याँ तईं थाँकी हण्डाळ्याँ की गणती पुरी ने करी जावे, ज्याँने थाँकी जस्यान मारिया जाई।”
ईंका केड़े में कई देक्यो के, मनकाँ का मोटी भीड़ हे जिंने कुई भी गण ने सके, वीं भीड़ में हारी जात्या का, हाराई कुल का, हारी बोली बोलबावाळा अन हाराई देसा का मनक हा, वीं वणी गादी अन उन्याँ का हामे ऊबा हा, वणा धोळा गाबा पेर मल्या हा अन हाताँ में खजुर की डाळ्याँ ले राकी ही।