21 वणी बेटे वींका बापूऊँ क्यो, ‘ओ बापू, में थाँकी देकणी में अन परमेसर का विरोद में पाप किदो हे, अन अबे मूँ थाँको बेटो केवावे के, जोगो ने रियो हूँ।’
तद्याँ वो वटूँ आपणाँ पापाँ का नके परोग्यो। “वो थोड़ाक छेटी हो अन वींका बापू वींने देक लिदो तो वींका बापू ने वींपे घणी दया अई। ईं वाते वो दोड़न वींने आपणे गळे लगा दिदो अन बोको दिदो।
पण, वींका बापू आपणाँ दासा ने क्यो, ‘फटाकऊँ हव गाबा लावो अन ईंने पेरावो अन ईंका हात में वीटी अन ईंका पंगा में बुट पेरावो।
कई थूँ वींकी दया अन वींकी सेण समता अन धिरजपणा ने बेकार हमजे हे? अन कई थूँ ओ ने जाणे हे के, परमेसर की दया थने पापऊँ मन फेरवा का आड़ी ले जावे हे।
ईं तरियाँ आपणाँ विस्वासी भायाँ का विरोद में पाप करता तका अन वणी कमजोर विस्वासवाळा मनक का मन ने दुक देता तका थाँ मसी का विरोद में पाप कररिया हो।