पछे मनक को पूत दूजाँ का जस्यान खातो-पितो आयो अन वीं केवे हे के देको, ‘यो खवगड़्यो अन दारुड़्यो हे, कर लेबावाळा को अन पाप्याँ को गोटी हे।’ पण परमेसर का ग्यान पे चालबावाळा आपणाँ करमाऊँ वींको ग्यान हाँचो साबत वेवे हे।”
यो देकन, वो फरीसी जणी वींने बलायो हो, आपणाँ मन में होचबा लागो, “यद्याँ यो परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळो वेतो तो जाण लेतो के, वाँ कस्यी अन कूण लुगई हे? के, वा तो पापी लुगई हे।”
काँके वो याकूब का आड़ीऊँ खन्दाया तका मनकाँ के आबाऊँ पेल्याँ वो जीं यहूदी ने हे वाँका हाते खातो-पितो हो, पण जद्याँ वीं आग्या तो वो वणा मनकाँऊँ दरपीन जीं ज्यो यहूदी ने हे वाँको खतना करणो छावता हाँ, वणा मनकाऊँ छेटी रेवा लागो।