काँके हारई आपणाँ रिप्या की बड़ोतरीऊँ नाक्या, पण ईं लुगई आपणी गरीबी हालत में भी ज्यो थोड़ाक रिप्या नके हा, वे हारई दे दिदा। वींका नके अतराक रिप्या हा, ज्यो वींका जीव को आसरो हो।”
अन थोड़ाक दन केड़े नानक्यो बेटो आपणी पांती को धन-दोलत ज्यो हो वींने भेळो करन नरई छेटी का देस में परोग्यो अन वटे बुरा कामाँ में आपणी हारी धन-दोलत ने उड़ा दी।