9 अन जणी थाँने अन वींने दुयाँ ने ब्याव में नुत्या वे। वो आवे अन थने केवे के, ‘आपणी या जगाँ ईंने दिदो’ तो थने लाजा मरन हाराऊँ रेटे बेटणो पड़ी।
जद्याँ ईसू या बात की, तो वींका हाराई विरोदी लाजा मरबा लागा अन हाराई मनक वणी परचा का कामऊँ ज्यो वणा किदो हो वणीऊँ बड़ई करबा लागग्या।
थाँको वेवार अस्यो वेणो छावे के, थाँ मन फेर लिदो हे। थाँ आपणाँ-आपणाँ मना में यो मती होचो के, ‘आपीं अबराम का बंस का हा।’ मूँ थाँकाऊँ केऊँ हूँ के, परमेसर अणा भाटाऊँ अबराम का वाते ओलाद जण सके हे।