25 जद्याँ लोगाँ की भीड़ ईसू का पाच्छे जारी ही तो ईसू पाच्छा फरन वाँने क्यो,
पसे जद्याँ हजारो मनक भेळा वेग्या हा अन अटा तईं के, मनक एक-दूँजा के ऊपरे पड़रिया हा, तद्याँ ईसू आपणाँ चेलाऊँ क्यो के, “फरीसियाँ का कपट रूपी हाज्याऊँ बंचन रेवो।
अन मूँ थाँकाऊँ कूँ हूँ के, ज्यो पेल्याँ नुत्या ग्या हा, वाँका मूँ एक भी जीमण में जीम ने सकी।’”
“यद्याँ कुई मारा पाच्छे आवे अन आपणाँ बई-बापू, लुगई अन छोरा-छोरी अन भई-बेन अन अटा तईं आपणाँ जीव ने भी माराऊँ प्यारो माने, तो वो मारो चेलो ने बण सके हे।