17 जद्याँ खाणो त्यार वेग्यो तो वणी आपणाँ दास ने खन्दान हाराई नुत्याँ तका मनकाँ ने नुत्या के, ‘आवो, अबे खाणो त्यार वेग्यो हे।’
तद्याँ ईसू वणीऊँ क्यो, “एक दाण एक मनक एक मोटा जीमणा की त्यारी कररियो हो, वणी नरई मनकाँ ने नुता दिदा।
पण वीं हाराई आगा-पाछा वेबा लागा, एक जणे क्यो, ‘में एक खेत मोल लिदो हे, मने वो देकवा जाणो हे। करपा करन मने माप कर दे।’
पछे तेवार के आकरी दन ज्यो खास दन वेतो हो। वीं दन ईसू ऊबो वेन जोरऊँ क्यो, “यद्याँ कुई तरियो वे तो मारा नके आवे अन पिवे।
ईं वाते भई-लोगाँ, अबराम की ओलादाँ अन थाँकामूँ परमेसरऊँ दरपबावाळा लोगाँ, बंचाबावाळो ओ सन्देसो आपणाँ वातेई खन्दायो ग्यो हे।
ईं हारी बाताँ परमेसर का आड़ीऊँ हे, जणा आपाँने मसीऊँ खुद में मेल-मिलाप करा लिदो हे अन आपाँने मनकाँ ने परमेसरऊँ मेल-मिलाप कराबा की सेवा को काम हूँप्यो हे।