16 तद्याँ ईसू वणीऊँ क्यो, “एक दाण एक मनक एक मोटा जीमणा की त्यारी कररियो हो, वणी नरई मनकाँ ने नुता दिदा।
पुवितर आत्मा अन लाड़ी केवे हे, “आ।” अन ज्यो ईंने हुणे हे, वीं भी केवे, “आ।” अन ज्यो तरियो हे वो भी आवे अन ज्यो कुई छाई, वो जीवन को पाणी फोकट में पिया करी।
हुणो, मूँ बारणा आगे ऊबो हूँ अन हेलो पाड़रियो हूँ। यद्याँ कुई मारो हेलो हुणन कमाड़ खोली, तो मूँ वींका घर आऊँ अन वींका हाते खाणो खाऊँ अन वो मारा हाते खाणो खाई।