15 पसे ईसू का हाते खाणो खारिया मनकाँ मूँ एक मनक यो हुणन ईसुऊँ क्यो, “हरेक वो मनक धन्न हे, ज्यो परमेसर का राज में खाणो खावे हे।”
“जद्याँ वीं लेबा ने जारी ही, तो बींद आ पूग्यो अन ज्यो त्यार ही, वीं तो वाँका हाते ब्याव में परीगी अन पछे कणी कमाड़ बन्द कर दिदा।”
मूँ थाँने यो ओरी बताऊँ हूँ के, “नरई मनक उगमणी, आतमणी आड़ीऊँ आई अन जीमणा में अबराम इसाक अन याकूब का हाते हरग का राज में आपणी-आपणी जगाँ पे बेटी।
धन्न हे वीं दास, जणा ने मालिक जागता तका अन त्यार देके। मूँ थाँकाऊँ हाचेई केवूँ हूँ के, वो भी त्यार वेन वाँने जीमबा का वाते बेवाड़ी अन नके आन वाँकी सेवा-चाकरी करी।
अन उगमणी, आतमणी, धरव अन लंकवऊँ लोग-बाग आई अन परमेसर का राज में जीमण जीमी।
मूँ थाँकाऊँ केवूँ हूँ के, जद्याँ तईं परमेसर का राज में अणी जीमण को मतलब पूरो ने वेई, तद्याँ तईं मूँ यो जीमणो पाछो ने जीमूँ।”
ताँके थाँ भी मारा राज में मारी हाते जीमण में खावो-पीवो अन थाँ राज-दरबार में बेटन इजराएल की बाराई कोमाँ को न्याव करो।”
तद्याँ वणी हरग-दुत माराऊँ क्यो, “अस्यान लिक वीं मनक धन्न हे ज्यो उन्याँ का ब्याव का जीमणा में नुत्या ग्या हे।” वणी पाछो क्यो, “ईं बचन परमेसर का हाँचो बचन हे।”