अस्यान जद्याँ वींको दास पाछो आन वींने हारी बाताँ बतई तो ईंपे घर का मालिक ने घणो गुस्सो आयो अन वणी आपणाँ दासऊँ क्यो, ‘फटा-फट जा अन नगर की हरेक गळ्याँ मूँ गरीबा, लंगड़ा, लकवा मारिया तका अन आंदा मनकाँ ने अटे बला ला।’
तो पतरस वाँकी लारे परोग्यो। जद्याँ पतरस वटे पूगो, तो वे वींने ऊपरे वीं ओवरा में लेग्या जटे हारी राडी-बायाँ रोती-धोती तकी वे गाबा-छींतरा बताती तकी च्यारूँमेर भेळी वेगी, जो गाबा वे तबीता नाम की चेली बणाया हा, जद वाँ वाँके हाते ही।
एक मण्डली को परदान बना दोसवाळो वेणो छावे, वींके एकीस लुगई वे, खुद ने बंस में राकबावाळो, धीरज करबावाळो अन मरयादा में रेबावाळो, वो आपणाँ घर में अणजाण की भी आवभगत करे, वो हिकावाबाळा वेवे।
अन जिंको हव काम करबा में नाम मान्यो तको वे, अन ज्या आपणाँ बाळकाँ ने हव तरिया पालण किदो वे, जणी अणजाण की भी सेवा किदी वे, परमेसर का लोगाँ की आपणाँ घर में आवभगत किदी वे, दकी मनकाँ की मदत किदी वे, अन जणी खुद हाराई भला काम करबा में आपणो मन लगायो वे।