9 ईंका केड़े भी आबावाळा साल में फळ ने लागे, तो ईंने परो काट नाकज्ये।’”
आराम का दन ईसू एक परातना घर में उपदेस देरिया हा।
ईंपे वणी वाँकाऊँ क्यो के, ‘ओ मालिक, ईंने अणी साल तो ओरी रेवा दो के, मूँ अणी गोड़ का च्यारूँमेर खोदन खाद नाकूँ,
ज्याँ डाळी मारा में हे अन फळ ने लावे हे, वो वींने काट नाके हे अन ज्या फळ देवे हे, वींने वो छांगे हे, ताँके वाँ साप वे सके अन ओरी फळ लावे।
जणा मनकाँ परबू ईसू ने अन परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळा ने मारिया अन आपाँने हताया हाँ, अणीऊँ परमेसर घणा नाराज हे, काँके वीं हाराई का विरोद में हे।