8 ईंपे वणी वाँकाऊँ क्यो के, ‘ओ मालिक, ईंने अणी साल तो ओरी रेवा दो के, मूँ अणी गोड़ का च्यारूँमेर खोदन खाद नाकूँ,
जद्याँ वणी बाग का रुकाळ्याऊँ क्यो, ‘देक, मूँ तीन सालाऊँ अणी अंजीर का रूँकड़ा के फळ देकबा आवूँ हूँ पण, मने फळ ने मले। ईंने परो काट दे, काँके अणी रूकड़े या जगाँ फालतू में रुंद मेली हे।’
ईंका केड़े भी आबावाळा साल में फळ ने लागे, तो ईंने परो काट नाकज्ये।’”
वो ने तो धुळा का वाते अन ने खात का वाते काम आवे हे, पण, वींने लोग-बाग बारणे फेंक देवे हे।” “जिंके हुणबा का वाते कान्दड़ा हे, वीं हुणे।”
हो मारा भायाँ-बेना, मारी मन की मरजी हे अन मूँ परमेसरऊँ हाराई इजराएली मनकाँ का वाते परातना करूँ हूँ के, वीं बंचाया जावे।
अस्यानीस मूँ छावूँ हूँ के, कस्यान भी मारा मनकाँ में होड़ा-होड़ ला सकूँ, जणीऊँ वाँका मूँ थोड़ागणा ने बचा लूँ।
परबू आपणाँ वादा ने पूरा करबा में देर ने लगावे, जस्यान नरई मनक होचे हे। पण परमेसर आपणाँ वाते धीरज राके हे, काँके वो किंने भी नास करणो ने छावे हे। पण वो छावे हे के, हाराई मनक आपणाँ मन ने पापऊँ अलग करन मन फेरे।