29 अन उगमणी, आतमणी, धरव अन लंकवऊँ लोग-बाग आई अन परमेसर का राज में जीमण जीमी।
मूँ थाँने यो ओरी बताऊँ हूँ के, “नरई मनक उगमणी, आतमणी आड़ीऊँ आई अन जीमणा में अबराम इसाक अन याकूब का हाते हरग का राज में आपणी-आपणी जगाँ पे बेटी।
पछे वे आपणाँ हरग दुताँ ने खन्दाई अन वीं धरती की च्यारई दिसा मेंऊँ अन बादळा का खुणाऊँ आपणाँ गण्या-चुण्या लोगाँ ने अगेटा केरी।
अन देको, नरई पाच्छे हे वीं पेली वे जाई अन जीं पेली हे वीं पाच्छे वे जाई।”
पछे पोलुस क्यो, “थाँने जाणणो जरूरी हे के, परमेसर की बंचाबा की बात ने जो यहूदी ने हे वाँने भी खन्दाई हे अन वीं हूणी।”
ओ तद्याँ वेवे हे जद्याँ थाँ विस्वास में अटल बण्या रेवो अन ज्यो हव हमच्यार थाँ हुण्यो हो वणीऊँ मली तकी आस में गाटा बण्या तका रेवो। अणी हव हमच्यार को परच्यार आकास का रेटे हारी दनियाँ में व्यो हे। अन मूँ पोलुस ईंको सेवक हूँ।