26 “जद्याँ थाँ केबा लाग जावो के, ‘माँ थाँका हाते खादो-पीदो हो अन थाँ माँने नरी जगाँ बजारा में, गामाँ में उपदेस दिदा हा।’
“पण, वी थाँकाऊँ केई के, ‘मूँ थाँने केरियो हूँ के, मूँ थाँने ने जाणूँ हूँ के, थाँ कूण हो, ओ बुरा करमवाळा, मारा नकेऊँ परा जावो।’
थाँको वेवार अस्यो वेणो छावे के, थाँ मन फेर लिदो हे। थाँ आपणाँ-आपणाँ मना में यो मती होचो के, ‘आपीं अबराम का बंस का हा।’ मूँ थाँकाऊँ केऊँ हूँ के, परमेसर अणा भाटाऊँ अबराम का वाते ओलाद जण सके हे।
वीं धरमीपणा को दिकावो तो करी, पण परमेसर की तागत ने ने मानी। अस्यान हिकबावाळा मनकाँऊँ खुद ने छेटी राक।
वीं परमेसर ने जाणबा को दावो तो करे हे, पण वाँका काम वाँने नकार देवे हे। वीं हूँगला अन बात ने ने मानबावाळा हे, वीं हव काम का जोगा ने हे।